उत्तर प्रदेशराज्य

मेरी काशी : युवाओं की जुबान से गूंजेगी प्राचीन नगरी की गाथा

सोशल मीडिया क्रिएटर्स बनेंगे ‘मेरी काशी एम्बेसडर’, कहानियों से जुड़ेंगे पर्यटक, पर्यटन मंत्रालय के इस अभियान में युवाओं को मिलेगा आकर्षक रील्स बनाने का प्रशिक्षण, मेरी काशी पर बेहद आकर्षक रील बनाने और उन्हें सोशल मीडिया पर मेरीकाशी पर अपलोड करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा

सुरेश गांधी

वाराणसी : काशी केवल एक शहर नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और सभ्यता का जीवित प्रतीक है। इसकी हर गली, घाट और मंदिर में हजारों वर्षों का इतिहास सांस लेता है। इस धरोहर को नए अंदाज में दुनिया तक पहुंचाने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने ‘मेरी काशी एम्बेसडर कार्यक्रम’ शुरू किया है। पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश पर्यटन और वाराणसी ज़िला प्रशासन के सहयोग से बुधवार को आयुक्त कार्यालय परिसर में आयोजित ‘मेरी काशी क्रिएटर्स पाठशाला’ इसी दिशा में पहला कदम रही।

मकसद युवाओं और सोशल मीडिया के प्रभावशाली लोगों को काशी और सारनाथ की 170 प्रामाणिक कहानियों से परिचित कराना और उन्हें डिजिटल कहानीकार के रूप में तैयार करना है। कार्यक्रम में लगभग 275 स्थानीय युवाओं और सोशल मीडिया प्रभावशाली लोगों ने भाग लिया। इस दौरान मास्टर-स्टोरीटेलर्स ने प्रतिभागियों को कहानी कहने की बारीकियां सिखाईं, जैसे कहानियों को व्यक्तिगत बनाना, अनूठे तथ्य जोड़ना, भावनात्मक ग्राफ और जुनून के साथ प्रस्तुति देना। साथ ही यूट्यूब विशेषज्ञों ने रील बनाने, ऑडियंस एंगेजमेंट बढ़ाने और सामग्री से कमाई करने की तकनीक सिखाई।

कमिश्नर एस. राजलिंगम ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद प्रतिभागियों को ‘मेरी काशी पाठ्यक्रम मॉड्यूल’ से जोड़ा जाएगा। इसके तहत उन्हें प्रेरित किया जाएगा कि वे काशी की कहानियों पर आकर्षक रील बनाकर मेरीकाशी हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर साझा करें। श्रेष्ठ रील बनाने वालों को ‘मेरी काशी एम्बेसडर’ की उपाधि मिलेगी। इन्हें न केवल आधिकारिक वेबसाइट पर सूचीबद्ध किया जाएगा, बल्कि विदेशी व घरेलू पर्यटकों से जोड़कर आधिकारिक टूरिस्ट गाइड बनने का अवसर भी प्रदान किया जाएगा।

जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने कहा कि यह पहल काशी के युवाओं के लिए बेहद प्रासंगिक है। ‘मेरी काशी एम्बेसडर प्रोग्राम’ न केवल उन्हें सोशल मीडिया पर पहचान दिलाएगा बल्कि आधिकारिक टूरिस्ट गाइड बनने का अवसर भी प्रदान करेगा। युवाओं को आजीविका के साथ-साथ काशी की असल कहानियों को विश्व पटल पर ले जाने का माध्यम बनेगी। उन्होंने धार्मिक नगरी के रूप में विख्यात काशी में विराजमान बाबा विश्वनाथ, संकटमोचन, आदिकेशव समेत यहां स्थित विभिन्न मंदिरों के प्राचीन इतिहास भी उल्लेख किया. इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या, एमएलसी धर्मेन्द्र सिंह, प्रशासनिक अधिकारी और कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे. बता दें, पर्यटन मंत्रालय और माईगव ने काशी की वैश्विक पहचान को सशक्त करने के लिए ‘लोगो डिज़ाइन प्रतियोगिता’ भी शुरू की है।

‘मेरी काशी’: परंपरा और डिजिटल युग का संगम
वाराणसी की गलियों में हर कदम पर छिपी हैं हजारों वर्षों की कहानियाँ—आस्था, संस्कृति, ज्ञान और दर्शन की। यह शहर केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए जीवित इतिहास का प्रतीक है। ऐसे में पर्यटन मंत्रालय का ‘मेरी काशी एम्बेसडर कार्यक्रम’ काशी को वैश्विक मंच पर और सशक्त बनाने की दिशा में एक अभिनव पहल है। कार्यक्रम में भावनात्मक ग्राफ, मन का रंगमंच, अनूठे तथ्य और जुनून के साथ वर्णन जैसी तकनीकों ने उन्हें यह समझाया कि कहानी सिर्फ़ सुनाई नहीं जाती, बल्कि जी भी जाती है। डिजिटल युग की ताक़त को समझते हुए यूट्यूब विशेषज्ञों ने युवाओं को यह प्रशिक्षण दिया कि कैसे एक साधारण वीडियो को आकर्षक रील में बदला जा सकता है, कैसे उससे न सिर्फ़ दर्शकों का जुड़ाव बढ़े बल्कि आजीविका के नए अवसर भी खुलें।

पर्यटन अधिकारी दिनेश कुमार ने कहा कि काशी के लिए यह क्षण गौरव का है कि जब पूरी दुनिया डिजिटली जुड़ रही है, तब भारत सरकार ने इस शहर को डिजिटल स्टोरीटेलिंग हब बनाने का बीड़ा उठाया है। ‘मेरी काशी एम्बेसडर कार्यक्रम’ परंपरा और तकनीक का वह संगम है, जहाँ प्राचीनता आधुनिकता से मिल रही है। आज की यह पहल आने वाले कल में काशी को न केवल पर्यटन बल्कि सांस्कृतिक कूटनीति का भी केंद्र बनाएगी। जब स्थानीय युवा अपनी कहानियाँ दुनिया को सुनाएँगे, तब काशी की आत्मा और भी व्यापक रूप में गूँजेगी।

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