प्रकृति का अमर्त्व पूरित फल और हमारा बचपन…!

रमेश कुमार ‘रुद्र’
दुधवा टाइगर रिजर्व, लखीमपुर खीरी
त्योहार पश्चात अपनी बहन को छोड़ने जाते समय जंगल का अमर्त्व पूरित मधुर फल बैंगनी व काले रंग के छोटे-छोटे जामुन से परिपूर्ण पेड़ दिखाई दिया। उसे देखकर मन बरबस ही रुकने के लिए उद्वेलित हुआ, पर बहन के मन की जिज्ञासा उसके अंतर्मन के जल्दी पहुंचने के लिए उत्सुकता को पढ़ आगे बढ़ा। वापसी में आते समय अपने को रोक पाने का औचित्य ही नहीं था। पेड़ आते ही बाइक खड़ी की और विचार करने लगा कि आखिर इन अमृत्वधारी मधुर फलों का सेवन कैसे किया जाए? एक तरफ मन फलों का स्वाद ग्रहण हेतु आतुर तो दूसरी तरफ वर्तमान पारंपरिक तंग परिधान आड़े आ गया।
बड़ी विवशता यह मैं सड़क किनारे लोक प्रतिक्रियाओं के दृष्टिगत अपने इस पारंपरिक परिधान को अल्पकाल के लिए भी त्यागने की स्थिति में नही था। बचपन की यादें ताजा हो आईं उन यादों के चलते मन में अंतर्द्वंद प्रारंभ हो गया। मन ने कहा क्या हुआ आगे बढो? यह किया जा सकता है! पर पेड़ की शाखाएं काफी ऊंचाई से प्रारंभ थी। पेड़ भी एक दिन पूर्व हुई बारिश के चलते मात्र अर्द्धसूखा था। उस पर वर्तमान परिधान के साथ चढ़ पाना लगभग असंभव था। कुछ देर इधर-उधर इस आशा के साथ पेड़ के आस-पास में ऐसे घूमते रहे मानो वह वृक्ष स्वयं ही हमें कोई उपाय बता देने वाला था।
थोड़ा उछल कूद कर लटकती शाखाओं को पकड़ने का प्रयत्न किया, परंतु सब व्यर्थ। जब कोई उपाय नहीं चला तो यकायक अपने पुराने ब्रम्हास्त्र की याद आ गई कि बचपन में डंडे से कैसे बागों से झोली भर-भर कर आम तोड लेते थे? फिर क्या था चक्षु यकायक स्वत: सक्रिय हो गए पर इधर-उधर नजर घुमाई तो कोई भी लकड़ी आस-पास नहीं दिखी। फिर नजर पडी धरती के महराजाओं का क्षत्र पर यह मेरे देश का किशान ही है, यदि खाने के लिए उसके खेत या वाहन से एक गन्ना लो तो वह कहता है भैया एक और ले लो। वर्ना दुकान पर तो एक टाफी भी बिना पैसे के नही मिलती।

अंतर्मन ने कहा भैया माफ करना अब एक मात्र विकल्प यही है। गन्ने को अपना ब्रम्हास्त्र बनाया और लगा दिया निशाना अगले ही पल तलवार की धार सम जामुन लगी एक पेड़ की लड़ी मेरे हांथ में थी। फिर क्या था बिना देर किए स्वाद लिया। यह फल स्वाद में बहुत अच्छा महसूस कराए या न कराए पर इसके गुणों की कहानी अद्वितीय है। बिल्कुल “एको मैं द्वितीया नास्ति”। बरसात के मौसम में तैयार होने वाला यह फल अत्यंत गुणकारी है। आप भी इसके गुणों को आत्मसात कर इसकी महत्ता को पहचानें। इसलिए आज इसे हमें लिपिबद्ध करना पड़ा।
जामुन मधुमेह को नियंत्रित करने, पाचन में सुधार करने, और त्वचा के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा, जामुन के फल में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। जामुन को हिंदी में जामुन, काला जामुन, राजमन, जमाली, और अंग्रेजी में जावा प्लम, ब्लैक प्लम, मालाबार प्लम, और ब्लैकबेरी जैसे नामों से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Syzygium cumini है।
इसके गुदे सहित बीजों का उपयोग भी अलग-अलग समस्याओं में कर सकते है। जब भी सिर और घुटनों में तेज जलन की समस्या हो तब जामुन के बीज का लेप बनाकर, उसे कपड़े में डाल कर प्रभावित जगह पर छाप सकते हैं। इससे जलन की समस्या से तुरंत राहत मिलेगी। जामुन के बीज का उपयोग करने से पाचन संबंधी समस्या का भी समाधान होता है। इस फल की गुठली में फाइबर की मात्रा बेहद अधिक होती है। इसकी वजह से मल त्याग की परेशानी दूर होती है। खास बात यह है कि जामुन के बीजों में कार्मिनेटिव गुण होते हैं, जो पेट फूलना, अपच और अन्य पाचन विकारों को दूर करने में मदद करते हैं।
जामुन के बीज का पावडर नियमित रूप से खाने से शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है। यह खून में अच्छे HDL कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और बैड कॉलेस्ट्रॉल LDL को घटाता हैव जामुन के बीजों में हाइपोटेंशन गुण होते हैं, जो ब्लड प्रेशर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। जामुन के बीजों का चूर्ण बनाकर सुबह शाम खाने से मधुमेह की बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है। जामुन के बीजों में जम्बोलिन होता है, इसमें हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। साथ ही यह इंसुलिन लेवल में भी सुधार करता है। इसलिए समय मिलने पर एवं फलों के मौसम में इसका स्वाद लेना न भूलें।