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ट्रंप प्रशासन ने रोकी कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की $584 मिलियन की फंडिंग

रिसर्च पर गहरा असर पड़ने की आशंका

कैलिफोर्निया : अमेरिका की ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजेलिस (यूसीएलए) की 584 मिलियन डॉलर (लगभग ₹4,900 करोड़) की संघीय रिसर्च अनुदान को सस्पेंड कर दिया है। यह राशि पहले अनुमान से लगभग दोगुनी है। यूसीएलए के चांसलर जूलियो फ्रेंक ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। यह पहली बार है जब किसी सरकारी यूनिवर्सिटी की फंडिंग इस तरह नस्लीय भेदभाव और यहूदी विरोधी माहौल के आरोपों को लेकर रोकी गई है। इससे पहले निजी यूनिवर्सिटीज पर ऐसे कदम उठाए गए थे। ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि यूसीएलए ने यहूदी और इस्राइली छात्रों के खिलाफ भेदभाव और दुश्मनी भरा माहौल बनने दिया। अमेरिकी न्याय विभाग के नागरिक अधिकार प्रभाग ने जांच में पाया कि यूसीएलए ने सिविल राइट्स एक्ट 1964 और संविधान के 14वें संशोधन का उल्लंघन किया है। 2024 में हुए फलस्तीन समर्थक प्रदर्शन के दौरान कुछ यहूदी छात्रों और प्रोफेसरों ने शिकायत की थी कि उन्हें कक्षा में जाने से रोका गया और उन्हें निशाना बनाया गया।

चांसलर जूलियो फ्रेंक ने कहा, ‘अगर ये फंड्स स्थायी रूप से रोके गए, तो यूसीएलए और पूरे देश के लिए ये विनाशकारी होगा। हमारे यहां जो रिसर्च होती है, उसका फायदा अमेरिका और दुनिया को होता है।’ उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी को यह पैसा नेशनल साइंस फाउंडेशन, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ और डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी से मिलता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के नए अध्यक्ष जेम्स बी. मिलिकेन ने भी इस फैसले की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘ये कटौती यहूदी विरोध का हल नहीं है। यूसीएलए और पूरी यूसी यूनिवर्सिटी ने इस मुद्दे पर काफी काम किया है, लेकिन लगता है सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया।’ उन्होंने आगे कहा कि इस फंडिंग से जो काम होते हैं, वे जीवन बचाने, अर्थव्यवस्था मजबूत करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को बेहतर करने के लिए जरूरी हैं।

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