उत्तर प्रदेशधर्म/अध्यात्मराज्य

भागवत कथा सुनने से दैहिक, दैविक, भौतिक सभी तापों से मिलती है मुक्ति

श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन भक्ति व भाव का अनुपम संगम
आचार्य शांतनु जी महाराज के ओजस्वी प्रवचनों से गूंजा सभागार

लखनऊ : राजधानी स्थित दयाल गेटवे कन्वेंशन सेंटर, विभूति खंड, गोमती नगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन का आयोजन अत्यंत हर्षोल्लास और भक्ति की भावनाओं के साथ संपन्न हुआ। यह कथा प्रख्यात कथावाचक आचार्य शांतनु जी महाराज के पुण्य सान्निध्य में 3 अगस्त से आरंभ हुई है और 9 अगस्त 2025 तक प्रतिदिन सायं 5:00 बजे से 8:00 बजे तक आयोजित की जा रही है। सोमववार को संपूर्ण सभागार श्रद्धालुजनों की उपस्थिति से खचाखच भरा था। भक्ति में डूबे श्रोतागण संगीतमय भजनों, मंगलाचरण तथा आचार्यश्री के जीवनदायी प्रवचनों से बारंबार भावविभोर होते रहे।

थकावट हरने वाली दिव्य औषधि के समान होती है भागवत कथा
मंच पर व्यासपीठ से कथा का अमृतवर्षा करते हुए आचार्य शांतनु जी महाराज ने कहा, जब बुद्धिजीवी लोग संसार के मोह-माया, तनाव और व्यावसायिक जीवन की थकावट से संत्रस्त हो जाते हैं, तब वे आत्मिक विश्रांति के लिए कथा की ओर लौटते हैं। यह कथा उनकी थकावट को हरने वाली दिव्य औषधि के समान होती है। उन्होंने आगे कहा कि यह श्रीमद् भागवत कथा न केवल एक आध्यात्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह वेद रूपी कल्पवृक्ष का परम फल है, जिसे सुनने से दैहिक, दैविक और भौतिक सभी प्रकार के तापों से मुक्ति प्राप्त होती है।आज के दिन कथा का क्रम भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल से संबंधित लीलाओं पर केंद्रित रहा। आचार्यश्री के लोकोन्मुख दृष्टिकोण और सरल भाषा में वर्णित गूढ़ तत्वज्ञान ने श्रोताओं के मन में आध्यात्मिक चेतना जागृत की।

लखनऊ वालों के लिए दुर्लभ अवसर, आध्यात्म यात्रा को बनाएं सशक्त
भक्तिरस में डूबी संगीतमय प्रस्तुति में अनेक भजनों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। कथा सुनने आए वरिष्ठ नागरिकों, युवाओं, महिलाओं और बच्चों सभी वर्गों ने मंत्रमुग्ध होकर कथामृत का रसपान किया। कथा का उद्देश्य केवल आध्यात्मिक अनुभूति तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में समरसता, सद्भाव और नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना भी इसका एक महान लक्ष्य है। आचार्य शांतनु जी महाराज का अद्भुत वक्तृत्व और प्रगाढ़ ज्ञान समाज को दिशा देने वाला है। लखनऊ वासियों के लिए यह आयोजन एक दुर्लभ अवसर है जहाँ वे अपनी अध्यात्म यात्रा को सशक्त बना सकते हैं। अगले दिनों में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, गोवर्धन लीला, रासलीला जैसे महत्वपूर्ण प्रसंगों का सजीव वर्णन किया जाएगा।

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