गोरक्षपीठ के लिए ऐतिहासिक है 5 अगस्त की तारीख

राम मंदिर भूमि पूजन की पांचवी सालगिरह
लखनऊ : 5 अगस्त 2020, गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के लिए ऐतिहासिक तारीख। वजह इसी तारीख को अयोध्या स्थित रामजन्म भूमि पर भव्य और दिव्य मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ था। यह पीठ की तीन पीढ़ियों के एक सदी से अधिक के संघर्ष के सपने का साकार होने जैसा था। ये तीन पीढ़ियां हैं गोरक्षपीठ के वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,उनके पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ और दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय।
पीएम मोदी ने किया था मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन
आज ही तारीख में पांच साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था। स्वाभाविक है कि पीठ के प्रतिनिधि और मुख्यमंत्री के रूप में अन्य संतों, धर्माचार्यों एवं गणमान्य लोगों के साथ योगी आदित्यनाथ भी वहां मौजूद थे।
अयोध्या को सुंदरतम शहर बनाकर सपनों को चटक कर रहे योगी
पीठ की प्रतिबद्धता और संकल्पना के अनुरूप भव्य और दिव्य मंदिर शीघ्र ही पूरा होने को है। इस दौरान योगी जी की देख रेख में केंद्र सरकार की मदद से योगी आदित्यनाथ अयोध्या को धार्मिक पर्यटन के लिहाज से विश्व का सबसे खूबसूरत शहर बनाकर उन सपनों को चटक कर रहे हैं। आज अयोध्या में सब कुछ है। रेल और सड़क की बेहतरीन कनेक्टिविटी, अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट, चौड़ी सड़कें, पवित्र सरयू के तट पर खूबसूरत घाट के साथ और भी बहुत कुछ। काम अभी जारी है। साथ ही मुख्यमंत्री की हर अयोध्या यात्रा के दौरान वहां के विकास के लिए मिलने वाली सौगातों का सिलसिला भी।

उल्लेखनीय है कि योगी जी के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ प्यार और श्रद्धा से लोग उनको बड़े महाराज कहते थे। वह राम मंदिर आंदोलन के शीर्षस्थ लोगों में शुमार थे। उनकी सर्वस्वीकार्यता के नाते ही उनको इस आंदोलन की अगुआई मिली थी। उनका ताउम्र एक ही सपना था, अयोध्या में राम जन्म भूमि पर रामलला का दिव्य एवं भव्य मंदिर बने।
यकीनन आज वे बेहद खुश होंगे। खासकर यह देखकर कि देश और दुनिया के करोड़ों हिंदुओं के आराध्य पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मभूमि पर करीब 500 वर्ष बाद पांच साल पहले जिस राम मंदिर की बुनियाद उनके शिष्य गोरक्ष पीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। अब वह तेजी से उनके काबिल शिष्य की देखरेख में उनकी सोच और संकल्पना के अनुसार पूरा होने को है।
मंदिर आंदोलन की महत्वपूर्ण घटना में रही पीठ की प्रभावी उपस्थिति
मालूम हो कि श्री राम मंदिर आंदोलन के लिए एक सदी के दौरान हुई हर महत्वपूर्ण घटना के समय गोरक्षपीठ के तबके पीठाधीश्वरों की प्रभावी उपस्थिति एवं भूमिका रही है। दिसंबर 1949 में तब अयोध्या में रामलला के प्रकटीकरण के समय उनके दादा गुरु ब्रह्मलीन गोरक्ष पीठाधीश्वर दिग्विजय नाथ अयोध्या में ही मौजूद थे। यही नहीं 1986 में जब मन्दिर का ताला खुला तो बड़े महराज अयोध्या में मौजूद थे। इसके पहले राम मंदिर के बाबत सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर न बनने तक टेंट से हटाकर चांदी के सिंहासन पर एक अस्थाई ढांचे में ले जाने का काम भी योगीजी ने ही किया था। इतिहास में ऐसी तीन पीढिय़ा मिलना विरल हैं, जिन्होंने एक दूसरे के सपनों को न केवल अपना बनाया। बल्कि इसके लिए शिद्दत से सँघर्ष भी किया। नतीजा सबके सामने है। अयोध्या के कायाकल्प और जन्मभूमि पर भव्य और दिव्य राम मंदिर के रूप में।