आतंकवाद व शांति के मुद्दे पर पाकिस्तान का दोहरा चरित्र निंदनीय

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने पाक को दिया करारा जवाब
न्यूयॉर्क : संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने पाकिस्तान को दो टूक जवाब दिया और कहा, देश की संप्रभुता पर सवाल उठाने के किसी भी प्रयास को भारत कभी स्वीकार नहीं करेगा। कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीय करण और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) का जिक्र करने के पाकिस्तान के दुस्साहस का कड़ा विरोध करते हुए पी हरीश ने कहा, आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय शांति के मुद्दों पर पाकिस्तान का दोहरा चरित्र निंदनीय है। हरीश के जवाब से पहले पाकिस्तानी उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने कश्मीर को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने पाकिस्तान को जवाब उस मंच पर दिया, जहां बहुपक्षवाद और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के विषय पर चर्चा की जा रही थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस उच्च स्तरीय खुली बहस में पी हरीश ने लगभग पांच मिनट के अपने वक्तव्य में भारीय कूटनीति को स्पष्ट करते हुए पाकिस्तान को आइना दिखाया।
राजदूत हरीश ने कहा, यह एक महत्वपूर्ण चर्चा है। जब संयुक्त राष्ट्र के 80 वर्ष पूरे हो रहे हैं, तो यह इस पर विचार करने का एक अच्छा समय है कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर में बताए गए बहुपक्षवाद और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के विचार को अब तक कितना हासिल किया जा सका है। साथ ही, यह भी समझने का समय है कि इस रास्ते में क्या-क्या रुकावटें आईं। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद के पहले चालीस वर्षों में उपनिवेशवाद का अंत हुआ और शीत युद्ध का दौर चला। उस समय संघर्षों को काफी हद तक रोका और संभाला जा सका। इन कोशिशों में संयुक्त राष्ट्र की अहम भूमिका रही। वास्तव में, साल 1988 में संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना को नोबेल शांति पुरस्कार भी दिया गया था। शीत युद्ध के अंत के बाद दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह के नए संघर्ष शुरू हो गए। इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र की शांति बनाए रखने वाली गतिविधियों का तरीका भी बदलने लगा।