काशी में गंगा उफनाई, बाढ़ से 727 लोग हुए बेघर, प्रशासन अलर्ट मोड पर

गंगा आरती पर भी पड़ा असर, भक्तों के लिए विशेष प्रबंध
सुरेश गांधी
वाराणसी : वाराणसी में गंगा का बढ़ता जलस्तर एक बार फिर चिंता का विषय बन गया है। सावन की रिमझिम फुहारों के बीच जब शहर शिवमय हो चला है, गंगा का बढ़ता पानी घाटों से होते हुए अब गलियों में प्रवेश करने लगा है। शनिवार को दोपहर 2 बजे तक गंगा का जलस्तर 69.96 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर के बेहद करीब है। यदि यही रफ्तार बनी रही, तो जल्द ही गंगा खतरे का निशान 71.26 मीटर पार कर सकती है।
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और नगर निगम की टीमें लगातार प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय हैं। वाराणसी नगर निगम के कर्मचारी और पुलिस बल नावों, राहत पैकेट, चिकित्सा किट और सूचना तंत्र के जरिए दिन-रात जुटे हैं। बढ़ते जलस्तर के चलते दशाश्वमेध, शीतला घाट और अस्सी घाट तक पानी पहुंच चुका है। गंगा आरती अब अस्थायी मंच या छोटे किनारों से कराई जा रही है। श्रद्धालुओं के लिए बैरिकेडिंग, नागरिक सुरक्षा जवानों की तैनाती, और लाउडस्पीकर से सतर्कता घोषणाएं जारी की गई हैं। वाराणसी विकास प्राधिकरण के मुताबिक, अभी तक कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है, परंतु सावधानी में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।

बता दें, महादेव की नगरी काशी के लिए गंगा केवल एक नदी नहीं, आस्था की अविरल धारा है। लेकिन जब यही धारा उफान पर आती है, तो हजारों परिवारों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी को अस्त-व्यस्त कर देती है। यह बाढ़ कोई नई नहीं, परंतु हर वर्ष नए संकट, नई चुनौतियाँ और नए सबक लेकर आती है। प्रशासन की तात्कालिक कार्रवाई सराहनीय है, पर दीर्घकालीन समाधान की जरूरत अब और अधिक महसूस होती है। स्थायी तटबंध योजना, जल निकासी की आधुनिक व्यवस्था और सामुदायिक चेतना को बढ़ावा दिए बिना बाढ़ की यह समस्या हर सावन की एक त्रासदी बनकर लौटेगी।
वाराणसी में बाढ़ की ताजा स्थिति
प्रशासन के मुताबिक इस समय सदर तहसील बाढ़ से प्रभावित है। यहां का रामपुर ढ़ाब गांव और शहर के प्रमुख मोहल्ले – सलारपुर, सरैया, नक्खीघाट, ढेलवरिया, दनियालपुर और हूकुलगंज, गंगा के पानी की चपेट में आ चुके हैं।
विस्थापित परिवारों की संख्या : 142
राहत शिविर में : 65 परिवार
अन्य सुरक्षित स्थानों पर : 74 परिवार
कुल विस्थापित जनसंख्या : 727
339 लोग राहत शिविरों में और 388 अन्य स्थानों पर हैं।

राहत एवं बचाव कार्य तेज
जिला प्रशासन ने अब तक 46 बाढ़ राहत शिविर चिन्हित किए हैं, जिनमें से 07 फिलहाल क्रियाशील हैं। ये शिविर प्राथमिक विद्यालयों, मंदिरों और स्कूलों में चलाए जा रहे हैं। बाढ़ प्रभावितों को भोजन, दूध, फल, दवाइयां और ओआरएस जैसी जरूरी राहत सामग्री दी जा रही है।
शनिवार को वितरण का विवरण
संचालित नावें : 10
वितरित लंच पैकेट : 582
दूध पैकेट : 65
फल : 60
उपचारित मरीज : 34
ओआरएस पैकेट : 46
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा बनाए गए कंट्रोल रूम नंबर हैं :
📞 0542-2508550, 2504170, 9140037137
पीड़ितों की ज़ुबानी- हर साल वही कहानी!
सरैया निवासी लल्लन यादव कहते हैं, “हर साल पानी चढ़ता है, पर पहले से अलर्ट नहीं मिलता। इस बार प्रशासन थोड़ा जल्दी जागा है, पर बिजली-पानी अब भी बाधित है।“ हूकुलगंज की किराना दुकानदार रीता देवी का कहना है, “हमने दुकान खाली कर दी है। दो दिन से दुकान बंद है। एक-एक रुपये की दिक्कत हो रही है। बच्चों का दूध भी मुश्किल से मिल रहा है।“ ढेलवरिया के राहत शिविर में रुकी चंचल गुप्ता ने कहा, “शिविर में जगह है, भोजन भी मिल रहा है, पर शौचालय और नहाने की व्यवस्था न के बराबर है। महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए।