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विकसित भारत 2047 के लिए पीएम मोदी के विज़न में है कौशलयुक्त और सशक्त युवा : जयंत चौधरी

यूपी जैसे राज्य भी ‘स्किल इंडिया’ के माध्यम से युवाओं को दे रहे नया आकार

डी.एन. वर्मा

नई दिल्ली/लखनऊ : 15 जुलाई 2015 का सूरज भारत के युवाओं के लिए एक नई उम्मीद लेकर उगा था। उस दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्किल इंडिया मिशन’ की शुरुआत की थी। एक ऐसी पहल, जिसका सपना सिर्फ रोज़गार नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता, आत्मसम्मान और आत्मविश्वास था। जब स्किल इंडिया मिशन की घोषणा हुई, तब यह स्पष्ट हो गया कि अब भारत का युवा सिर्फ डिग्रीधारी नहीं रहेगा, बल्कि वह हुनरमंद बनेगा, और अपने कौशल से देश को भी गढ़ेगा। पूरे भारत के साथ-साथ उत्तर प्रदेश भी इस परिवर्तन का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। स्किल इंडिया मिशन के तहत राज्य ने लाखों युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोज़गार और स्वरोज़गार से जोड़ा है। विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्किल सेंटरों की स्थापना, उद्योगों की ज़रूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रम, और रोजगार मेलों के ज़रिए यूपी के युवा आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

स्किल इंडिया मिशन की यात्रा और उसके विजन पर विचार व्यक्त करते हुए, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयन्त चौधरी ने कहा था कि, “भारत की सबसे शक्तिशाली संपत्ति उसके युवा हैं। इस तथ्य को स्वीकार करते हुए, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा युवा भारतीयों को राष्ट्र की आर्थिक, शैक्षिक और तकनीकी दृष्टि के केंद्र में रखा है। स्किल इंडिया पहलों के तहत, करोड़ों युवाओं को निर्माण, स्वास्थ्य सेवा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ऑटोमोटिव जैसे विविध क्षेत्रों में उद्योग-संबंधित कौशल प्रदान किया गया है। इन पहलों ने शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को प्रभावी ढंग से पाटते हुए युवाओं को व्यावहारिक और रोज़गार के लिए तैयार क्षमताओं से सशक्त किया है। जैसे-जैसे हम 2047 तक विकसित भारत की ओर अग्रसर हो रहे हैं, यह आत्मविश्वासी और कुशल पीढ़ी ही उस सपने को साकार करने वाली सच्ची निर्माता होगी। मुझे विश्वास है कि मंत्रालय के निरंतर और समर्पित प्रयास देश के कौशल विकास परिदृश्य पर ठोस और सकारात्मक प्रभाव डालेंगे।”

मिशन द्वारा बीते 10 वर्षों में भारत की तकनीकी शिक्षा व्यवस्था ने भी एक नया रूप लिया है। देशभर में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) की संख्या लगभग 10,000 से बढ़कर 14,615 तक पहुँच गई है। जहां पहले सिर्फ 9.5 लाख विद्यार्थी नामांकित थे, वहीं अब यह संख्या 14 लाख के पार जा चुकी है। तकनीकी शिक्षा अब सिर्फ क्लासरूम तक सीमित नहीं रही बल्कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स जैसे संस्थान उभरते युवाओं को वैश्विक स्तर की ट्रेनिंग देकर उन्हें नई ऊँचाइयों तक ले जा रहे हैं।

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विकसित भारत @2047’ का सपना सामने रखा, तो उस सपने की रीढ़ यही स्किल इंडिया मिशन बनकर उभरा। यह सपना है भारत को दुनिया की ‘स्किल कैपिटल’ बनाने का, और बीते 10 वर्षों का सफर गवाही देता है कि हम उसी दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं। यह मिशन सिर्फ आंकड़ों या नीतियों की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस युवती की कहानी है जो सिलाई मशीन से अपना घर चला रही है, उस युवक की कहानी है जो एक समय बेरोज़गार था और आज एक निर्माण कंपनी में सुपरवाइज़र है। यह उस हर भारतीय की कहानी है, जिसने अपने हाथों के हुनर से न केवल अपनी तक़दीर बदली, बल्कि देश को भी एक नई पहचान दी।

वाकई में दस साल पहले जो सपना संजोया गया था, आज वह फला-फूला है। 15 जुलाई 2025 सिर्फ़ एक तारीख नहीं, बल्कि कई करोड़ सपनों की मेहनत, लगन और उड़ान का उत्सव है, जिसे स्किल इंडिया मिशन ने हकीकत बनाया है। यह एक ऐसी यात्रा है, जो अभी खत्म नहीं हुई, बल्कि हर नए हुनर के साथ और भी गहरी और व्यापक होती जा रही है। यह यात्रा उस भारत की ओर है, जो अपने युवाओं की प्रतिभा से विश्व को दिखा रहा है कि कौशल ही असली पहचान है।

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