मोदी हो जाना आसान है लेकिन टी राजा और योगी होना कठिन!

–सौरभ सोमवंशी
गोधरा कांड के दौरान नरेंद्र मोदी हीरो बने थे लेकिन उस समय वह मुख्यमंत्री के पद पर थे सारी सुरक्षा थी सारी परिस्थितियां उनके अनुकूल थी केंद्र में भी भाजपा की सरकार थी,लेकिन आसान नहीं होता योगी आदित्यनाथ और टी राजा हो जाना मऊ दंगे के दौरान जिस तरह से योगी आदित्यनाथ सिर्फ एक सांसद की हैसियत से गोरखपुर से मऊ के लिए निकले थे उस समय उत्तर प्रदेश में किस तरह का अराजकता का माहौल था ये उस दौर के पत्रकारों से पूछा जा सकता है योगी आदित्यनाथ का भारतीय जनता पार्टी में ही साथ देने वाला कोई नहीं था ऊपर से राज्य में मुलायम सिंह यादव जैसा मुख्यमंत्री था तो केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी उस दौर में योगी आदित्यनाथ एकदम अकेले थे लेकिन उनके पास हिंदुत्व के लिए लड़ने का जज्बा था और इस जज्बे को लेकर गोरखनाथ पीठ के पीठाधीश्वर अकेले ही निकल पड़े थे मऊ के लिए। जहां मुख्तार अंसारी जैसा कुख्यात माफिया आतंक का नंगा नाच कर रहाथा।
किस तरह से उनकी गाड़ियों के ऊपर गोली और बम बरसाए जा रहे थे लेकिन लेकिन योगी आदित्यनाथ के साथ आम जनता थी और बाबा गोरखनाथ का आशीर्वाद था इसके अलावा और कुछ नहीं था। एक दौर में रथ यात्रा निकालने वाले लालकृष्ण आडवाणी तक शांत पड़ गये थे।आज आपको उत्तर प्रदेश की गली-गली में हिंदुत्व के चेहरे दिखाई देंगे जय श्री राम का नारा लगाने वाले लोग दिखाई देंगे लेकिन उस दौर में यही जय श्री राम का नारा लगाने वाले अधिकतर लोग समाजवादी पार्टी का झंडा बुलंद कर रहे थे। बाद में जिस तरह की परिस्थितियों हुई वह किसी से छुपी हुई नहीं है योगी आदित्यनाथ के लोकसभा में भावुक होकर आंसू निकलने वाले वीडियो को वायरल कर चुटकी लेने वाले लोग उस स्थिति को नहीं समझेंगे। आज अभी हमें पता चला कि
तेलंगाना में गोशामहल से विधायक टी राजा सिंह ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी के राज्य नेतृत्व के लिए चल रही खींचतान पर नाराजगी जताते हुए राज्य भाजपा प्रमुख जी किशन रेड्डी को अपना इस्तीफा भेजा है। तेलंगाना मुद्दे पर टी राजा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जैसे 32 दांत के बीच में एक जीभ रहती है ठीक वही स्थिति टी राजा की थी इसके बावजूद वह लगातार जंगल के शेर की तरह दहाड़ते रहते थे। हालांकि उन्होंने अपने इस्तीफा में स्पष्ट किया है कि वह भारतीय जनता पार्टी को भले ही छोड़ रहे हैं लेकिन वह हिंदुत्व और सनातन के लिए कोई समझौता नहीं करेंगे और लगातार हिंदुत्व के लिए आवाज उठाते रहेंगे।

कुर्सी का कोई मोह नहीं, योगी का सिर्फ एक धर्म- ‘राजधर्म’
जब योग्यता को नजरअंदाज कर चापलूसों और चाटुकारों को स्थान देकर भविष्य के लिए अपने आप को मजबूत करने के लिए नई पीढ़ी तैयार की जाती है तो कोई भी दल भारतीय जनता पार्टी बन जाता है। यह पूछने वाला कोई नहीं है की उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का चर्चित माफिया अतीक अहमद गुजरात में ही जेल में क्यों था वह अपने आप को गुजरात में ही सबसे सुरक्षित क्यों महसूस कर रहा था? देश की मीडिया यह बात पूछे या ना पूछे मैं जरूर पूछूंगा। यह भी पूछने वाला कोई नहीं है कि मुख्तार अंसारी को सजा सुनाने वाले जस्टिस दिनेश कुमार का स्थानांतरण सजा के तौर पर केरल उच्च न्यायालय क्यों कर दिया गया?फिर कह रहा हूं ब्रांडिंग से नरेंद्र मोदी हो जाना आसान है लेकिन बिना ब्रांडिंग के बुलडोजर और योगी आदित्यनाथ का ब्रांड बन जाना कठिन। निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी ने अपने तौर तरीके में परिवर्तन नहीं किया तो उसे बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा। वास्तव में भारतीय जनता पार्टी अपने मूल सिद्धांतों से भटक चुकी है।
अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे कुख्यात अपराधियों के साम्राज्य का खत्मा करने के बाद उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था का राज स्थापित करने के बाद भी योगी आदित्यनाथ के पीछे भारतीय जनता पार्टी के ही कुछ नेता पड़े हुए हैं मैं दावे के साथ ये कह सकता हूं कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के अलावा भारतीय जनता पार्टी का कोई भी नेता यदि मुख्यमंत्री होता तो उत्तर प्रदेश को संभालना उसके लिए कठिन था और आज भी यदि उत्तर प्रदेश में किसी और को मुख्यमंत्री बनाया जाए तो योगी आदित्यनाथ ने जिन चीजों को 8 वर्ष में ठीक किया है उन चीजों को 8 दिन में ही मटिया मेट कर दिया जाएगा चाहे राजनाथ सिंह ही जैसा नेता मुख्यमंत्री क्यों न बन जाए क्योंकि योगी आदित्यनाथ का विजन स्पष्ट है, वह वास्तव में अपराधियों को ठीक करना जानते हैं क्योंकि वह स्वभाव से ही ईमानदार और सत्यनिष्ठ हैं उन्हें कुर्सी का कोई मोह नहीं है उनके लिए केवल एक धर्म है और वह है राजधर्म।