Bihar : चुनाव से पहले वोटर्स की जन्मतिथि व जन्मस्थान की होगी जांच

नई दिल्ली : भारत के चुनाव आयोग ने मंगलवार (24 जून, 2025) को बिहार के मुख्य निर्वाचन कार्यालय को एक स्पेशल ‘इंटेंसिव रिविज़न’ कराने का आदेश दिया है — जिसके तहत सभी मतदाताओं की जन्मतिथि और जन्मस्थान की जांच-पड़ताल की जाएगी. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, आदेश में कहा गया है, ‘आयोग ने अब पूरे देश में स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न शुरू करने का निर्णय लिया है ताकि मतदाता सूचियों की निष्पक्षता और अखंडता बनाए रखने के अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन किया जा सके. हालांकि, चूंकि बिहार राज्य में इस साल के उत्तरार्ध में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है, इसलिए आयोग ने राज्य में विशेष व्यापक पुनरीक्षण पहले करने का फैसला किया है. इस प्रक्रिया के आधार पर मतदाता सूची को अपडेट किया जाएगा.
द टेलीग्राफ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अब तक मतदाता के रूप में आवेदन करने के लिए नागरिकों को सिर्फ निवास और जन्मतिथि का प्रमाण देना होता था. लेकिन अब जन्मस्थान के सत्यापन की अनिवार्यता ने इस प्रक्रिया को एक प्रकार की नागरिकता परीक्षा बना दिया है. यह फैसला उस वक्त लिया गया है जब भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासी खुद को मतदाता के रूप में दर्ज करवा चुके हैं. वहीं कांग्रेस ने भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची से छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं.
क्या है चुनाव आयोग का विशेष अभियान
इस प्रक्रिया के तहत बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) बुधवार से घर-घर जाकर जांच करेंगे. वे मतदाताओं को गणना फॉर्म (एन्यूमरेशन फॉर्म) देंगे, जिसे मौके पर ही भरकर बीएलओ को वापस करना होगा. चुनाव आयोग ने इस अभियान के लिए कुछ दिशानिर्देश तय किए हैं: अगर कोई घर बंद पाया जाता है, तो बीएलओ फॉर्म को दरवाज़े के नीचे से डाल देगा और कम से कम तीन बार फॉर्म लेने के लिए वापस आएगा. मतदाता ऑनलाइन भी यह फॉर्म जमा कर सकते हैं, लेकिन इसके बाद बीएलओ द्वारा फिज़िकल वेरिफिकेशन किया जाएगा. बिहार में करीब 7.73 करोड़ मतदाता हैं. गणना फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 26 जुलाई है. ड्राफ्ट मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की जाएगी. इसके बाद 1 सितंबर तक मतदाता दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे. अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को जारी होने की संभावना है.