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बिहार के धौरी राजपुर में कछवाहा राजपूतों की कुलदेवी ‘जमवाय माता’ का पहला मंदिर

सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट व यूके की सालिसिटर रीना एन सिंह ने कराया है निर्माण, स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय राजेश्वर सिंह के पुत्र नेहरू सिंह की पुत्रवधू है रीना एन सिंह

बांका (बिहार) : पवित्र सावन के महीने में पूरे देश भर के कांवरिया श्रद्धालु बिहार के भागलपुर जनपद के सुल्तानगंज से उत्तर वाहिनी गंगा से गंगाजल लेकर 105 किलोमीटर की कावड़ यात्रा प्रारंभ करते हैं और देवघर के बैद्यनाथ धाम जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। इस 105 किलोमीटर की यात्रा के बीच में 46 किलोमीटर चलने पर बाका जनपद का एक गांव पड़ता है “धौरी राजपुर”। आमतौर पर कावड़ यात्रा इस गांव में दूसरे दिन पहुंचती है। धौरी राजपुर राजपूतों का गांव है जहां अयोध्या के राजा भगवान श्री रामचंद्र के पुत्र कुश के वंशज कछवाहा क्षत्रिय बहुतायत संख्या में है।

रीना एन सिंह के पति सौरभ एन सिंह भी धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं

इसी गांव धौरी राजपुर की बहू हैं सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट व यूके की सालिसिटर रीना एन सिंह। उन्होंने रीना एन सिंह ने अपने कछवाहा वंश की कुलदेवी जगत जननी मां जमवाय माता रानी के मंदिर का निर्माण इसी गांव में कराया है। विदित हो कि रीना एन सिंह सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट यूके की सॉलीसीटर भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा विवाद व ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में हिंदुओं की अधिवक्ता देश की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता है। रीना एन सिंह ने बताया कि 2021 में जब कोरोना अपने चरम पर था उसके साल भर पहले माता जी के स्थापना का समय तय कर दिया गया लेकिन कोरोना की विभीषिका के बावजूद माता जमवाय के आशीर्वाद से ही पहले से नियत तिथि 24 अप्रैल 2021 को जमवाय माता मंदिर में स्थापित हुई और तब से वह अपने कछवाहा वंश के साथ-साथ संपूर्ण जगत को आशीर्वाद देरही है।

कहा जाता है कि कछवाहा वंश की कुलदेवी सतयुग में मंगलाय, त्रेता में हडवाय, द्वापर में बुडवाय और कलयुग में जमवाय माता के नाम से जानी जाती हैं। दर्जनों सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी हुई एडवोकेट रीना एन सिंह ने सुल्तानगंज का नाम अजगैबीनाथ धाम करने की मांग भी बिहार सरकार से की है। उन्होंने कहा कि एक पवित्र स्थल है इसकी पहचान किसी सुल्तान से नहीं इसकी पहचान भगवान शिव से है, यह वही स्थल जहां पवित्र सावन में लोग गंगाजल भरते हैं और करीब 106 किलोमीटर की कांवड यात्रा का शुभारंभ कर झारखंड के देवघर जाकर बाबा बैद्यनाथ को जलाभिषेक करते हैं।

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