बनारस में छह पत्रकारों पर ग़लत सूचना फैलाने के आरोप में केस दर्ज

नई दिल्ली : वाराणसी पुलिस ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अशांति और गलत सूचना फैलाने के आरोप में छह पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, लंका थाने में दर्ज शिकायत में आरोप लगाया गया है कि पत्रकारों ने एक मूर्ति की सफाई का वीडियो शेयर किया और उसका इस्तेमाल सांप्रदायिक भावना भड़काने के लिए किया. इस कार्रवाई की राजनीतिक प्रतिक्रिया हुई है, जहां कांग्रेस ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए इसकी निंदा की है.
लंका थाना प्रभारी (एसएचओ) शिवाकांत मिश्रा के मुताबिक, 25 जून की रात लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के दो कर्मचारी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) गेट के पास स्थित भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा की सफाई कर रहे थे. मिश्रा ने कहा कि सफाई प्रक्रिया का एक वीडियो रिकॉर्ड किया गया और कुछ पत्रकारों द्वारा ऑनलाइन शेयर किया गया, जिन्होंने कथित तौर पर नफरत फैलाने और कानून-व्यवस्था को बाधित करने के लिए जाति-आधारित टिप्पणी का इस्तेमाल किया.
संकट मोचन पुलिस चौकी प्रभारी की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई. आरोपियों में अरशद (‘खबर बनारस’ के एडमिन), अभिषेक झा, अभिषेक त्रिपाठी, सोनू सिंह, शैलेश और एक एक्स (पूर्व में ट्विटर) यूजर नितिन राय शामिल हैं. उन पर धारा 356(3) (अपमानजनक सामग्री का प्रकाशन), 196(1) (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया है. पत्रकारों ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार करते हुए कहा कि उनका काम प्रशासन के संज्ञान में आने वाली अच्छी या बुरी घटनाओं को उजागर करना है.
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष ने एफआईआर की निंदा की
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एफआईआर की निंदा की.राय ने कहा, ‘मालवीय जी की प्रतिमा पर चढ़ने वाले किसी व्यक्ति के वायरल वीडियो पर सवाल उठाने वाले पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. भाजपा सरकार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी, लेकिन सवाल उठाने वालों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाएगा.’